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आईआरईएल (इंडिया) लिमिटेड, जो पहले इंडियन रेअर अर्थ्स लिमिटेड के नाम से जाना जाता था, इसकी स्थापना 18 अगस्त, 1950 को केरल में अपनी पहली इकाई रेअर अर्थ्स प्रभाग (आरईडी), अलुवा के साथ हुई थी। यह वर्ष 1963 में परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक पूर्ण भारत सरकार का उपक्रम बन गया एवं इसने देश के दक्षिणी भाग में चवरा, केरल और मणवालकुरिच्चि (एमके), तमिलनाडु में परमाणु खनिजों के खनन एवं पृथक्करण में सक्रिय कंपनियों को अपने अधिग्रहण में कर लिया । आईआरईएल द्वारा 1986 में ओडिशा के छत्रपुर में अपनी सबसे बड़ी प्रमुख खनन एवं खनिज पृथक्करण इकाई उड़ीसा सैंड्स कॉम्प्लेक्स (ऑसकॉम) की स्थापना की गई। वर्तमान में आईआरईएल ने प्रसंस्कृत खनिजों अर्थात इल्मेनाइट, रूटाइल, जिरकॉन, सिल्मेनाइट एवं गार्नेट जैसे खनिजों के उत्पादन के लिए प्रतिवर्ष लगभग 10 लाख टन खनिज प्रसंस्करण की क्षमता वाला संयंत्र स्थापित किया है। आईआरईएल ने ओडिशा में आर.ई. क्लोराइड एवं संबंधित उत्पादों के संदर्भ में लगभग 11,000 टन रेअर अर्थ कॉन्सेंट्रेट का उत्पादन करने हेतु एक रेअर अर्थ्स एक्सट्रैक्शन प्लांट को स्थापित किया है। रेअर अर्थ्स प्रभाग, अलुवा में पृथक्कृत उच्च शुद्ध रेअर अर्थ ऑक्साइड का उत्पादन करने के लिए एक आर.ई. परिष्करण संयंत्र (रिफाइनिंग प्लांट) का प्रचालन जारी है। आईआरईएल ने भोपाल, मध्य प्रदेश में रेअर अर्थ्स एवं टाइटेनियम थीम पार्क को भी स्थापित किया है। वर्ष 1997-98 से आईआरईएल लाभ-अर्जित करनेवाली एक सीपीएसई बन गई है, जिसका विक्रय कारोबार वर्ष 2023-24 में रु.20248.97 मिलियन से अधिक है, जिसमें लगभग रु.9625.82 मिलियन का निर्यात घटक शामिल है। अपनी मौजूदा खनिज उत्‍पादन क्षमताओं के विस्‍तार के अतिरिक्त खनिजों एवं रेअर अर्थ्स की मूल्‍य श्रृंखला में उद्योगों की स्‍थापना को सुगम्य बनाने के साथ-साथ, आईआरईएल के पास खनिज एवं रसायन परिचालन का समर्थन करने हेतु कोल्लम, केरल में आंतरिक अनुसंधान एवं विकास प्रभाग तथा मुंबई, महाराष्ट्र में कॉर्पोरेट कार्यालय स्थित है।

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